बिहार क्रिकेट में भ्रष्टाचार की सच्चाई

बिहार क्रिकेट में भ्रष्टाचार की सच्चाई

मगध पैंथर क्रिकेट अकादमी, गया की नज़र से एक सच्ची कहानी

बिहार क्रिकेट में भ्रष्टाचार की सच्चाई

बिहार की धरती ने अनगिनत खेल प्रतिभाएँ दी हैं।
यहाँ के बच्चे गली-गली में बल्ला और गेंद लेकर अपने सपनों को उड़ान देना चाहते हैं।
हर खिलाड़ी का सपना होता है — एक दिन बिहार की जर्सी पहनकर राज्य और देश का नाम रोशन करना।
लेकिन जब वही खिलाड़ी दिल्ली, मुंबई, उत्तर प्रदेश या बड़ौदा जैसी बड़ी टीमों के सामने उतरते हैं, तो अक्सर नतीजा निराशाजनक रहता है।

तो सवाल उठता है — आखिर क्यों?
क्या बिहार के खिलाड़ियों में टैलेंट की कमी है?
क्या मेहनत की कमी है?
नहीं, असली कारण कहीं और छिपा है — बिहार क्रिकेट एसोसिएशन की भ्रष्ट व्यवस्था, कमजोर ग्राउंड इंफ्रास्ट्रक्चर और खिलाड़ियों को अवसर न मिलना।

  1. भ्रष्टाचार की छाया में बिहार क्रिकेट

बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (BCA) की व्यवस्था आज ऐसे पेड़ की तरह हो चुकी है, जो ऊपर से हरा दिखता है लेकिन अंदर से खोखला है।
टूर्नामेंट के नाम पर राजनीति, चयन में सिफारिश, फर्जी सर्टिफिकेट, और खिलाड़ियों की अनदेखी — ये सब बिहार क्रिकेट की जड़ें खोखली कर रहे हैं।

मगध पैंथर क्रिकेट अकादमी के वरिष्ठ कोचों के शब्दों में —

“बिहार में टैलेंट की कोई कमी नहीं, लेकिन सिस्टम में ईमानदारी की भारी कमी है। जब व्यवस्था साफ नहीं होगी, तो मैदान में नतीजे भी कभी साफ नहीं होंगे।”

  1. कमजोर ग्राउंड और घटिया इंफ्रास्ट्रक्चर

जहाँ दिल्ली, मुंबई और बड़ौदा के खिलाड़ी रोज़ हरे टर्फ विकेट पर अभ्यास करते हैं, वहीं बिहार के ज़्यादातर मैदान अभी भी पुराने, असमान और बिना देखभाल के हैं।
• ना प्रॉपर रोलिंग
• ना उचित ग्रासिंग
• ना वैज्ञानिक फिटनेस ट्रेनिंग
• और ना ही प्रोफेशनल ग्राउंड स्टाफ

इसका सीधा असर खिलाड़ियों के डिफेंस, फुटवर्क और खेल की तकनीक पर पड़ता है।
यही कारण है कि जब वही खिलाड़ी बाहर के टर्फ विकेट पर उतरते हैं, तो स्विंग और बाउंस के सामने टिक नहीं पाते।

  1. सर्टिफिकेट और चयन की राजनीति

बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अंदर चयन प्रक्रिया अब योग्यता से नहीं, सिफारिश और पैसे से चलती है।
मेहनती खिलाड़ी किनारे कर दिए जाते हैं और जिनके पास संपर्क या सर्टिफिकेट है, वे जगह पा जाते हैं।
यह केवल एक खिलाड़ी का नुकसान नहीं है, बल्कि बिहार के क्रिकेट भविष्य का नुकसान है।

मगध पैंथर क्रिकेट अकादमी ने कई ऐसे खिलाड़ियों को देखा है जो शानदार परफॉर्मेंस के बावजूद बाहर कर दिए गए, जबकि कमजोर खिलाड़ी ऊपर पहुंच गए — सिर्फ “जुड़ाव” की वजह से।

फिटनेस और फील्ड सेशन
  1. टूटता मनोबल और बिखरते सपने

जब मेहनती खिलाड़ी देखता है कि उसके प्रदर्शन से ज़्यादा सिफारिश काम करती है, तो उसका आत्मविश्वास टूट जाता है।
धीरे-धीरे वह क्रिकेट से दूर हो जाता है या किसी दूसरे राज्य का रुख कर लेता है।
यही वजह है कि बिहार का असली टैलेंट बिहार से बाहर जाकर नाम कमा रहा है।

  1. मगध पैंथर क्रिकेट अकादमी — बदलाव की दिशा में एक ईमानदार प्रयास

मगध पैंथर क्रिकेट अकादमी, गया ने इस समस्या को जड़ से समझा है और बदलाव की ठोस शुरुआत की है।
यहाँ खिलाड़ियों का चयन केवल प्रदर्शन, अनुशासन और फिटनेस के आधार पर किया जाता है।
हमारा मकसद है खिलाड़ियों को टर्फ विकेट, प्रोफेशनल ट्रेनिंग और मानसिक मजबूती के साथ तैयार करना, ताकि वे किसी भी परिस्थिति में टिक सकें।

“मगध पैंथर का उद्देश्य है – हर मेहनती खिलाड़ी को उसका हक़ दिलाना, बिना किसी सिफारिश या राजनीति के।”

  1. बदलाव की शुरुआत यहीं से होगी

अगर बिहार क्रिकेट को नई ऊँचाई पर ले जाना है, तो
• भ्रष्टाचार पर लगाम लगानी होगी,
• खिलाड़ियों को सही सुविधाएँ देनी होंगी,
• और चयन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना होगा।

यह रास्ता लंबा है, लेकिन मगध पैंथर क्रिकेट अकादमी ने इस यात्रा की शुरुआत कर दी है।
यहाँ हर खिलाड़ी को एक समान अवसर दिया जाता है, ताकि उसका खेल ही उसकी पहचान बने।

निष्कर्ष

बिहार क्रिकेट की असफलता खिलाड़ियों की नहीं, बल्कि सिस्टम की है।
जब तक भ्रष्टाचार और राजनीति इस खेल से दूर नहीं होगी, तब तक बिहार का असली टैलेंट छिपा रहेगा।

लेकिन अब तस्वीर बदल रही है।
मगध पैंथर क्रिकेट अकादमी का नारा है —
“ईमानदार क्रिकेट, सशक्त खिलाड़ी, और पारदर्शी चयन।”
क्योंकि अब वक्त आ गया है कि बिहार भी क्रिकेट की उस ऊँचाई को छुए, जिसका वह सच्चा हकदार है।

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